योग विषय अनंत तथा असीम है। सभी आचार्यों ने इसकी पृथक-पृथक परिभाषाएं की हैं। योग जैसे गहन और दुरूह विषय में पूर्वाचार्यों के अनेक मत होना स्वाभाविक है। जो विषय गूढ़ और जटिल होता है, उसका अनेक प्रकार से समीक्षण किया जाना भी एक प्रकार से उसके महत्व का ...
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