जिस प्रकार महाभारत में अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश किया था, उसी प्रकार श्रीद्वारकापुरी में उद्धवजी को भी उपदेश प्रदान किया। उक्त उपदेश में कर्म, ज्ञान, भक्ति, योग आदि अनके विषयों की भगवान ने बड़ी ही विशद व्याख्या की है। अंत में
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